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वो कहते हैं ….तुम मुझको धोखा दे रहे हो…नहीं मानती मैं… दूसरे कारण भी तो हो सकते हैं….
करवट नहीं लेते मेरी तरफ सोते समय ..तुम्हारे कंधे में दर्द भी तो रहता है …इसीलिए तो रोज ऑफिस जाते हुए सुबह के समय 5 मिनट निकाला करती हूँ….मुझे अच्छा लगता है तुम्हारा शरीर दबाना…गोरी एकदम चिकनी है पीठ तुम्हारी मक्खन सी …
तुमको तो तुम्हारे बॉस ने परेशां किया हुआ है …..इतना दबाव है काम का कि क्या कहें…एक भी संडे घर पर नहीं रह पाते तुम…..हर दिन कुछ न कुछ extra काम पकड़ा देते हैं तुमको… इस दिवाली भी घर देर से आये तुम….तुम्हारे ऑफिस में भी पूजा थी ना….
अब क्या करें तुम्हारी फितरत ही ऐसी हैं…दूसरों की तकलीफ देखी नहीं जाती तुमसे…शायद इसीलिए तुमने पिछले महीने सारी जमा पूंजी दे दी किसी को….उसको जरुरत रही होगी हमसे ज्यादा ….बाद में महसूस हुआ मुझको जब तुमने मोबाइल दे मारा मेरे पैर पर…गुस्सा हो गए थे तुम मेरे बार-बार पूछने पर कि कौन है वो…
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